रुक पाता तो रुक जाता,
पर क्या दुःख, अगर मैं मिला नहीं ?
मुझ पर खफा है क्यों तू,
कोई वादा तो मैंने किया नहीं।
कोई वादा तूने किया नहीं,
तो क्या प्यार भी तेरा दिखा नहीं ?
दिल से दिल का रिश्ता जोड़कर,
ना रुकने की कोई वजह नहीं।
बस जरा सी प्यारी बातों से क्या,
दिल, दिल से जुड़ जाता है ?
चल अब रो मत पगली, ये दिल का दर्द,
बहुत जल्दी कम हो जाता है।
तू जायेगा तो बीता वक्त भी
बेमतलब हो जायेगा।
दर्द यही है, कि दिल का दर्द
जल्दी ही कम हो जायेगा।
अगर मुझे भुलाकर, दर्द हटाकर,
तू जल्दी आगे बढ़ सकती है।
तो फिर, तेरे टूटे दिल का मुझे तू
इतना दोष क्यों देती है ?
ऑंसू का बहना भी रुक जायेगा,
गम जल्दी हल्का पड़ जायेगा।
पर जो वक्त जाया किया तूने मेरा,
बता कैसे वो वापस आयेगा ?
मुझे लगा, तू भी मेरी तरह ही,
‘आज’ में ही जीती थी।
दे दे सजा, मुझे पता ना था
कि तू ‘कल’ के सपने बुनती थी।
साथ तेरा बस दो पल था,
और मैं सपने सुहाने बुनती थी।
कभी जिक्र इश्क का किया नहीं,
मेरी भी थोड़ी गलती थी।
जाता हूँ, पर तू चाहे तो,
कभी-कभार मिल लिया करेंगे।
बिना शर्तों और वादों के,
साथ में थोड़ा जी लिया करेंगे।
रिहा कर दिया तुझे अपने दिल से,
अब सब साफ-साफ दिखता है।
तुझसे फिर मिलने की बातें सुनकर,
दिल मेरा अभी से दुखता है।
तेरा कहना कि अब कभी ना मिलना,
दिल पर थोड़ा सा तो भारी है।
पर तेरा दिल और ना दुखने देना,
कि खुश रहना भी एक जिम्मेदारी है।
जज्बात तो मेरे हुये बर्बाद,
फिर तेरा दिल क्यों भारी है ?
तुझसे कभी ना मिलना ही
आगे बढ़ने की तैयारी है।
सुनकर कि अब तू कभी ना मिलेगी,
मैं कैसे कदम बढ़ा पाऊँगा ?
वापसी के रास्ते बन्द ना कर,
मैं कैसे अलविदा कह पाऊँगा ?
बिना वादों के रिश्ता जोड़े रखना,
वक्त की बर्बादी है।
उधेड़बुन बंद कर ये अब,
जाने ये कब से जारी है।
चाहकर भी मैं तुझे अभी कोई
वादा ना कर पाऊँगा।
जाता हूँ, पर तुझे भी तो,
मैं याद कभी तो आऊँगा ?
तू जायेगा, तभी तो दिल
किसी और से जुड़ पायेगा।
हाथ थामूँगी उसका जो
वादों से ना घबरायेगा।