एक डरावना ख्याल
मन में रहता है,
नींद आती है पर
सोने में दिल घबराता है।
कल की सुबह देखनी है पर
सवाल आता है
जगी नहीं तो ?
क्या होगा आगे
अगर मैं कल
जगी ही नहीं तो ?
सोते समय वो बातें याद आती हैं
जो कही नहीं अब तक।
पूरी पिछली जिन्दगी देख लेती हूँ
यादों के पन्ने पलट कर।
कुछ शर्तें हैं
जो मैंने पूरी नहीं कीं अब तक।
ऐसे में
सो जाना एक जोखिम लगता है।
हर एक पल जो
मुस्कुराकर नहीं जिया
अधूरा लगता है।
पर ऐसे ही
ना सोने की कोशिश करते करते
आँख लग जाती है,
एक और सुबह हो जाती है।
और अन्दर से एक
डरी हुई आवाज आती है,
आज रात भी
मैं सो तो जाऊँगी
पर अगली सुबह
जगी नहीं तो ?