तेरे जाने से जिन्दगी मेरी थमी तो नहीं।
बिछड़ने वाले इस दुनिया में बस हम ही तो नहीं।
पर दोस्त,
वक्त-बेवक्त याद तेरी बड़ा सताती है।
बता दे, तेरे वहाँ कौन सी ट्रेन जाती है ?
दो दिन मिल ले, बहुत कुछ बताना है तुझे।
कुछ चुटकुले सुने है मैंने, हँसाना है तुझे।
तुझसे फिर मिलने की ख्वाहिश बड़ा तड़पाती है।
बता दे, तेरे वहाँ कौन सी ट्रेन जाती है ?
तेरे जैसा एक शख्स नजर आया है मुझे।
तुझे भूल जाऊँगी, दोस्तों ने ऐसा बताया है मुझे।
यह बात थोड़ा-थोड़ा मुझे डराती है।
बता दे, तेरे वहाँ कौन सी ट्रेन जाती है ?
तेरी तस्वीर को सीने से रोज लगाया है मैंने।
हँसी के पीछे दर्द बड़ा छुपाया है मैंने।
तेरा नाम लेती हूँ, तभी तो साँस आती है।
बता दे, तेरे वहाँ कौन सी ट्रेन जाती है ?
कभी तो लगता है जैसे तू साथ है मेरे।
और, जैसे मेरा हाथ हो हाथ में तेरे।
तू पास नहीं है तो क्यों तेरी आवाज आती है ?
बता दे, तेरे वहाँ कौन सी ट्रेन जाती है ?
आज दोस्तों को बड़ा हँसाया था मैंने।
पर अन्दर-ही-अन्दर खुद बड़ा चिल्लाया था मैंने।
पास बुला ले अपने, मेरी अब जान जाती है।
बता दे, तेरे वहाँ कौन सी ट्रेन जाती है ?
बातों-बातों में जिक्र तेरा तो आता रहता है।
तेरे किस्से-कहानियाँ हर कोई सुनाता रहता है।
हमारे बीच की दूरी, दोस्त,
किसी को भी समझ ना आती है।
बता दे, तेरे वहाँ कौन सी ट्रेन जाती है ?
सभी अपनों का प्यार बड़ा पाया है मैंने।
पर, बस तेरा ही साथ क्यों गंवाया है मैंने !
सुनी क्या तूने, जो दिल से मेरे ‘आह’ आती है ?
बता दे, तेरे वहाँ कौन सी ट्रेन जाती है ?
धीरे-धीरे प्यार मेरा बाकी सब में बट जायेगा।
जिन्दगी में उलझकर तुझसे ध्यान मेरा हट जायेगा।
अब याद तेरी आने से पहले, आँख मेरी लग जाती है।
बता दे, तेरे वहाँ कौन सी ट्रेन जाती है ?
यादों से तुझको जुदा अब कर दिया मैंने।
खाली दिल, नये ख्वाबों से अब भर दिया मैंने।
हमारी कहानी बस खुद को हँसाने के काम आती है।
बता दे, तेरे वहाँ …
Ma’am, this poem of yours has been written in very beautiful and simple words, this poem of yours touches my heart. I read this poem many times whenever it comes in front of me.
Shukriya! I’m glad that you like this poem. 🙂