‘सुनो, माया!’ किताब की मुख्य किरदार एक दिन अपने आप को मायूसी से घिरा पाती है। जब बहुत कोशिश करके भी वह रोशनी कहीं ढूंढ ना पायी, तो उसने माया को आवाज लगायी। क्या माया की कही बातें उसके लिये कुछ सहारा बन पायेंगी ? Click the link below to read the book.
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‘डिब्बी’
‘डिब्बी’ आम बोलचाल की भाषा में लिखी गयीं 150 छोटी-छोटी हिन्दी कविताओं का संग्रह है। हर कविता दिल को छूती है, तो दिल थामकर पढ़ना। कविता के किरदारों को अपना मानकर पढ़ना। और इसके अलावा, दो-चार कवितायें ऐसी भी हैं, जो मैंने अधूरी छोड़ी हैं। अगर आप लिखने का शौक रखते हैं, तो जरा मदद…